स्पंदन कर्नाटक हिन्दी अकादमी 'रजि0' द्वारा प्रकाशित
एक त्रैमासिक पत्रिका है | इसके प्रवेशांक अक्टूबर-दिसम्बर -2003 में
डॉ0 ए0 पी0
जे0 अब्दुल कलाम का ' सपनों का भारत ', श्री नारायण 'समीर' का 'इतिहास के आइने मे
राजभाषा', डा0 फिरोजा मुजफ्फर का 'हिन्दी सीखने की चुनौतीयां' शीर्षकों के
उल्लेखनीय वैचारिक लेख है |
इसके अतरिक्त मा0 अटल बिहारी बाजपेयी कि 'हिरोशिमा की पीडा', कमला सिंघवी की 'राम
मैने तुम्हें माफ नही किया' तथा नागार्जुन की 'एटम बम्' नाम कविताएं पाठकों के मर्म
को भीतर तक कुरेदती हैं | डॉ0 श्रीमती निवेदिता बनर्जी की लघुकथा 'अनुदान्'
वर्तमान युग की समाजिक विसंगतियो, असंगतियों तथा कटु यथार्थ का बोध कराने मे सक्षम
है | एक अहिन्दी भाषी राज्य से ऐसी संतुलित साहित्यक पत्रिका के प्रकाशन मे प्रधान
सम्पादक डॉ0 सरगु कृष्णामूर्ती तथा सम्पादक डॉ0 मंगल प्रसाद का प्रयास निश्चित रूप
से सराहनीय है| 'स्पंदन' के आगामी अंक मे प्रकाशनार्थ सुधी लेखकों एंव कवियों से
रचनाएं आमंत्रित हैं|
सम्पादकीय पता : सम्पादक, 'स्पंदन' कर्नाटक हिन्दी
अकादमी , 853, आठवां ब्लॉक , कोरमंगला , बेंगलूर-560095
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लिखे :-
प्रधान सचिव, कर्नाटक हिन्दी अकादम, 853, आठवां ब्लॉक,
कोरमंगला, बेंगलूर-560095 |